'तुझेतो मेरा रबभी देना पाया'

खुदा से हमारी एक दुवाए हे , जो तुझे दिया सबकुच मासल्ला क्या खुब दिया ,बस एक बात रहेगइ अधुरी जो मेरे रबसे और मुझ्से ना हो पाई ।

ऐसा क्यु हुवा तुझे तो मेरा हात भी दे नापाया ऐसा क्या हुवा जो तुझे तो मेरा रब भी दे ना पाए ।

जब जब मे सास लेता हु तु मेरे दिलमे हुवा करती हे , जब मे सास ना भि लेता हु तु मेरी जान हुवा करती हे अफ्सोश रब कि चाहा थी तु मेरी तक्दीर मे भी नाथी बस आज हमने केहेदिया |

ऐसा क्यु हुवा तुझे तो मेरा हात भी दे नापाया ऐसा क्या हुवा जो तुझे तो मेरा रब भी दे ना पाए ।

प्यार मे सुमार अजनबी हम भी थे , नाकाम सपनौको पूरा कर्ने चल नीकले था अगर मगर एका एक कभी कभी मुझे मेरी औकात महेसुस होजाती थि ।

ऐसा क्यु हुवा तुझे तो मेरा हात भी दे नापाया ऐसा क्या हुवा जो तुझे तो मेरा रब भी दे ना पाए ।

कभी कबार सोचलेता हु महोबत पाने पर जीन्दगी पुरी होती तो ईश मुकम्बल जाहामे जिनेका रुत्बा कम होजाता , हा वो लोग खुद नसीब हे जीन्हे प्यार मिल्जाता हे , लेकीन कभी कभी वो लोग भी गममे होते हे बस हम परख नही पाते ।

ऐसा क्यु हुवा तुझे तो मेरा हात भी दे नापाया ऐसा क्या हुवा जो तुझे तो मेरा रब भी दे ना पाए ।

 



Leave a Comment: